The power of the human body and its energy is eternal. But it requires yoga, meditati

Meditation and drugs (LSD) part 2

चित्र
The unconscious must be cleaned. It must not be pre-burdened - it must not have seeds. Sabeej Samadhi is a Samadhi with seeds. A Samadhi with seeds means a Samadhi with your projections. It is not a Samadhi at all. It is just a name-sake. There is another term - Nirbeej Samadhi, a Samadhi which is seedless. Only a seedless Samadhi is Samadhi, which is authentic because there is nothing to be projected. It is not that you are projecting - something has come to you. You have encountered something. You have known something new, completely fresh, absolutely unknown before, not even imagined; because whatsoever you can imagine you can project. So knowledge is a hindrance in Samadhi and a person who is a 'knowing-person', can never reach Samadhi. You must not go burdened with knowledge. You must reach the door of Samadhi completely empty handed, naked, vacant, only then the authentic thing happens. Otherwise, you are meditating with the projections. You have been projecting in me

स्मृति

           
दांतों में छिपे रहस्‍य:  एक समबुद्ध का निजि अनुभव

इन पिछले कुछ दिनों से मेरे दांतों में भयानक दर्द है। मैं बिलकुल भी सो नहीं पाया। घंटों लेटे रहते हुए मैंने अपने जीवन में पहली बार दांतों के बारे में सोचा। साधारणतया डेंटिस्ट, दंत चिकित्‍सक को छोड़कर दांतों के बारे में कौन सोचता है।

जो मैं तुम्‍हें बताने जा रहा हूं वह तुम्‍हारे लिए और किसी भी सच्‍चे साधक के लिए अत्‍यंत मूल्‍यवान है। मैं नहीं समझता कि यह पहले कभी कहा गया है। संभव है कि किसी प्राचीन रहस्‍यशाला में इसकी जानकारी हो और इसे छिपा कर रखा गया हो। अधिक संभावना यह है कि यह जानकारी खो गयी हो। लेकिन मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली। हालाकि मैंने इतनी खोज की है जितनी किसी भी व्‍यक्‍ति के लिए संभव है।

तो इसे ध्‍यान से सुनो: दांतों के दर्द को मैंने सीने के मध्‍य से उठकर जबड़े की हड्डियों से होते हुए आते पाया। दाँत का दर्द आग की लकीरों की तरह दिखाई देता है, प्रकाश की लकीरों की भांति, और सीने तक जाता है। छाती में यह प्रकाश रोशनी का बड़ा गोला हो जाता है। छाती में यह पुंज प्रकाश की एक सरिता द्वारा एक अधिक विराट रोशनी से बड़े सूर्य से जुड़ा हुआ है। यह सूर्य समस्‍त मानव जाति का सामूहिक अवचेतन मन है। वास्‍तविक सामूहिक अवचेतन मन कार्ल गुस्‍ताव जुंग का सामूहिक मन नहीं है। जुंग का सामूहिक अवचेतन मन तो केवल मनुष्‍य के मन के इतिहास से लिया गया है। मानवता की दंत-कथाओं, पौराणिक कथाओं के वंशक्रम से लिया गया है। यह एक प्रकार का कचरा है। जो इस लंबी यात्रा में पीछे बच गया है।

मनुष्‍य का वास्‍तविक अवचेतन बहुत विराट है, बहुत पुरातन है और मानवता के जैविक इतिहास से आता है। यह मनुष्‍य के लाखों वर्षों का इतिहास है जो हमारी देह में, कोशिकाओं में, हमारे डी. एन. ए. में संग्रहीत है, अंकित है। मानवता ने अपने संपूर्ण क्रम विकास में जो मार्ग अपनाया है, वही वास्‍तविक सामूहिक अवचेतन है। और हमारे देह में इसकी स्‍मृति है। हमारी देह में स्‍मृतियां है, इसमें समय के प्रारंभ से लेकर हमारे मानव बनने से पहले तक के संपूर्ण क्रम-विकास की स्‍मृति है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति के दाँत इन स्‍मृतियों के बीच एक कड़ी है: दांतों में स्‍मृतियां है जो हमें मनुष्‍य के सामूहिक अवचेतन मन से जोड़ती है। दांतों में प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति के संस्‍कार संग्रहीत है, एक संपूर्ण रिकॉर्ड है उन सब स्‍मृतियों का जब हम बंदर थे, या शायद उससे भी पहले का।

दाँत मनुष्‍य का व्‍यक्‍तिगत आकाशीय रिकॉर्ड है, उस सब का जो उसके साथ उसके संपूर्ण अतीत के क्रम विकास में घटा है। और यह अभी भी चल रहा है: अब भी जो हो रहा है दाँत उस सब को रिकॉर्ड कर रहे है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। दाँत कुछ कंप्‍यूटर के चित की भांति कार्य करते है। एक तरह से इन दोनों के ‘’इनेमल’’ की संरचना भी एक सी है। कंप्‍यूटर का चिप इतना छोटा होता है लेकिन इसमे लाखों तथ्‍य छिपे होते है। मस्‍तिष्‍क भी एक बायो-कंप्‍यूटर है और दांतों में लाखों वर्षों की स्‍मृतियां संग्रहीत है।

यदि दाँत का उपयोग सही ढंग से किया जाये, नये ढंग से समझा जाए तो संभव है कि बहुत सी बीमारियों की जड़ें इनमें मिलें। बहुत से पागलपन जिससे लोग पीडित है। उनका उपचार दांतों द्वारा किया जा सकता है। यदि हम जान पाएँ कि दांतों का ठीक उपयोग कैसे किया जाए तो पागल खाने खाली हो जाएंगे। बस किसी विशेष दाँत को निकालना है, विशेष नस को निकालना है, दांतों और मसूड़ों के रोग का उपचार करना है, और पूरा शरीर एंव मन स्‍वछ हो जाएगा।

मेरे कुछ दांतों में मेरी मां, पिता, परिवार और मित्रों की स्‍मृतियां संग्रहीत है। कई बार एक ही दाँत में भिन्‍न नसें भिन्‍न लोगों से जुड़ी होती है। नीचे के दाएं भोजन चबाने वाले दाँत को छूते हुए उन्‍होंने कहा कि इसमें मेरी मां की स्‍मृतियां है....
स्त्री और पुरूष-संस्‍कारों की जड़ें भी इन दांतों में ही होती है। पुराने संबंधों के संस्‍कार भी यहीं होते है। स्‍त्री का गहनत्म, सर्वाधिक पुरातन संस्‍कार है उसकी यह चाह कि कोई उसे चाहे। और यह चाहे जाने की चाह एक साधक स्‍त्री के गहरे ध्‍यान में उतरने में बाधक होती है।

यह दांतों की खोज प्रत्‍येक साधक के लिए अत्‍यंत सहायक सिद्ध हो सकती है। क्‍योंकि मनुष्‍य के पुराने संस्‍कारों के प्रति सजग होने के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है। यह हमारे प्रचीन संस्‍कार है, हमारा गहन अवचेतन है जो ध्‍यान के लिए अदृश्‍य बाधा बनता है। और मनुष्‍य के परम रूपांतरण के लिए ध्‍यान ही एकमात्र मार्ग है। स्‍मृतियां अवचेतन मेन में बंद है। और दाँत ही कुंजी है, एक सच्‍चा साधक बोध पूर्वक दांतों में छिपी इन अवचेतन स्‍मृतियों को चेतन मन में ला सकता है। ध्‍यान के मार्ग पर यह एक महान शुरूआत होगी। और मार्ग है, तुम मार्ग ढूंढ़ सकते हो। यह कोई संयोग नहीं है। कि यह खोज मैंने इस समय की है। दांतों के माध्‍यम से तुम मार्ग खोज सकते हो।

ऐसा प्रतीत होता है कि मनुष्‍य के समस्‍त संस्‍कार, मनुष्‍य के क्रम-विकास के प्रारंभ से उसकी स्‍मृतियों का समस्‍त जोड़, दांतों में विद्यमान है। संभव है कि मनुष्‍य के दाँत कंप्‍यूटर के चिप्‍स की भांति हों, जिनमें प्रत्‍येक स्‍मृति संग्रहीत है। यह पहली बार हुआ है कि दांतों के बारे में यह ज्ञान मानवता के लिए उपलब्‍ध हुआ हो...............

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